द गर्ल इन रूम 105
हमारी बस पहलगाम से श्रीनगर जा रही थी। वह पहाड़ी चक्करदार रास्तों पर बलखाती हुई चल रही थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं। कश्मीर के खूबसूरत नज़ारे मेरे लिए अब कोई मायने नहीं रखते थे। मैं बस घर जाना चाहता था।
श्रीनगर से रोज़ दिल्ली के लिए यह उड़ानें हैं। तो कोई समस्या नहीं होगी, सौरभ ने कहा।
हम फिर चुप हो गए। मैं जानता था कि एक इंजीनियर और टीचर के रूप में मैं एक नाकाम इंसान था। अब जारा की हत्या के इस केस की छानबीन में भी मैं नाकारा ही साबित हुआ था। शायद इसीलिए जारा ने मुझे छोड़ दिया था। उसने समझ लिया था कि मैं एक लूज़र हूं। मैं उसके लिए भी कुछ नहीं कर पाया था। और अब उसके मरने के बाद भी मैं उसके हत्यारे को खोज निकालने में नाकाम ही साबित हो रहा था। भाई, क्या सोच रहे हो?" सौरभ ने आधा घंटे बाद कहा।
"यही कि काश चंदन क्लासेस में अब भी हमारे लिए कोई जॉब हो।'
मैंने अपने स्वेटर को सूटकेस में रख दिया।
"तुमने टिकट खरीदे!" मैंने कहा 'मैंने पैकिंग कर ली है।' "इंटरनेट काम नहीं कर रहा है। ना तो निज़ाम भाई के सिम पर और ना ही वाई-फ़ाई से।'
'ठीक है, हम एयरपोर्ट से ही टिकट खरीद लेंगे, मैंने कहा। मैंने देखा कि सौरभ के कपड़े अभी तक अलमारी में ही टंगे हुए थे।
"ये क्या है? मैंने कहा था तुमसे कि पैकिंग कर लो। सौरभ मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। अपने सफेद स्वेटर में वो किसी ध्रुवीय भालू जैसा दिखाई दे रहा था। भालू ने अपने पंजे मेरे कंधे पर रखे।
“पहले जारा, और अब सिकंदर। हां, यह डराने वाला है। लेकिन इस तरह से यहां से भाग जाना?' उसने "मैं डरा हुआ नहीं हूँ। लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं इस केस को सुलझा सकता हूं। या मैं जीवन में कोई और कहा।
काम भी कर सकता हूं।'
* नॉनसेंस। हम एक और मोर्चे पर नाकाम रहे, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम हार मान लेंगे।'
मैंने कंधे उचका दिए। 'लेकिन अब हमारे पास यहां करने के लिए कोई काम नहीं है।"
क्यों? हम अभी तक कातिल को नहीं ढूंढ पाए हैं।' मैं उससे दूर चला गया और बेड पर जाकर बैठ गया। फिर उसकी तरफ़ देखे बिना ही में बोला, 'हम नहीं
ढूंढ सकते। हम इतने स्मार्ट नहीं हैं।' सौरभ मेरे पास आकर बैठ गया।
"लेकिन हम इस मामले का खुलासा करने के बहुत करीब पहुंच गए थे। '
"नहीं, ऐसा नहीं है। वास्तव में, हम बुरी तरह से गलत थे। और हमारी इस गलती से सिकंदर की जान चली
गई।
जबकि उसने जारा को नहीं मारा था।'
मैंने उसे धमकाया था कि मैं पुलिस को सारे सबूत सौंप दूंगा। इसी डर के कारण उसने आत्महत्या कर ली,
"क्या?"
"लेकिन वो टेररिस्ट था। इंस्पेक्टर सराफ के शब्दों में केवल एक चूहा।' 'वो ज़ारा का भाई भी था। क्या ज़ारा कभी मुझे इसके लिए माफ़ करती? और उसकी मां, जो घर पर
सौरभ ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया।
'मुझे भी इस थ्योरी पर कोई शक नहीं था।'
उसका इंतज़ार कर रही है...' मुझे सच में यही लगा था कि यह सिकंदर ने ही किया है। मुझे लगा मेरे पास इसके सबूत थे। हमारे पास एक थ्योरी थी, मैंने जैसे खुद से बात करते हुए